मंदिर पर हमला करने वालों का हो एनकाउंटर, नंदकिशोर सिंह गुर्जर bjp विधायक I इकरा हसन @Sakriya.Bharat

आज मन बहुत दुःखी हैं तो एक बात लिख रहा हूँ। ऐसा नहीं है कि आपने डासना मंदिर पर जो हुआ, वो कल रात नहीं देखा। पर, कितनी विचित्र बात है कि एक ट्वीट तक नहीं निकला बड़े हैंडलों से! क्यों? आपको नरसिंहानंद के कथनों से समस्या है? डासना तो हिन्दुओं का सिद्ध पीठ है, यति जी का व्यक्तिगत मंदिर तो नहीं। आपको अंदाजा भी है कि कल यदि गाजियाबाद पुलिस जुबैर के ट्वीट्स से होने वाले दंगों की आशंका से वहाँ पहले से तैनात न होती तो क्या होता? दस हजार की भीड़ थी। जो वीडियो में दिखा वह आधा भी नहीं था क्योंकि आधे लोग दूसरी साइड से आ रहे थे। आपने यति जी को नहीं त्यागा है, आपने मंदिर को त्यागा है। दूसरी बात, यति जी ने क्या अनुचित कह दिया? मुसलमानों को लग रहा है गुस्ताखी है, वो तो उनकी समस्या है, आपको कैसे अनुचित लग गया? अर्थ यह है कि आप मुसलमानों के ब्लासफेमी वाली बात को समर्थन देते हैं। पुनः, यह कहना चाहूँगा कि यति नरसिंहानंद स्वयं ही मरने के लिए उद्यत हैं, उनको इससे बहुत अंतर नहीं पड़ता कि वो क्या कह रहे हैं, और कौन उन्हें मारेगा। बात यह है कि क्या आप चाहते हैं कि एक और कमलेश तिवारी बने, कन्हैयालाल हो, उमेश कोल्हे हो जाए? यदि नहीं, तो फिर अंतर क्या है? वो सब तो निर्दोष और सामान्य व्यक्ति थे, क्या नरसिंहानंद हिन्दुओं को जगाने के कारण उनसे विशिष्ट नहीं हो जाते? फिर आपका समर्थन क्यों नहीं? क्योंकि आप संवेदनशील दिखना चाहते हैं। क्या यति जी ने आपका पैसा हड़प लिया? क्या उन्होंने मंदिर के फंड की लूट की? क्या उन्होंने कोई मंदिर बनवाया जो हवा में टूट गया? क्या उन्होंने हिन्दुओं के शत्रुओं को घर बनवा कर दिया, उन्हें लीगल सपोर्ट दिया या उनके साथ वो स्वार्थवश मिल गए? नहीं! फिर आपको समस्या उनके राजनीति में महिला वाले कथन से होगी? क्या उन्होंने क्षमा नहीं माँगी? या आपने बंद कमरों में कभी कोई अनैतिक बात नहीं की, आपसे कोई अनुचित कार्य नहीं हुआ? फिर आपका समर्थन कहाँ है? धिक्कार है आप जैसे लोगों पर जो नवरात्रि में देवी भवानी के पीठ पर होने वाले इस्लामी हिंसा पर चुप रहे। स्वयं को न्यूट्रल दिखाने के चक्कर में इतना मत गिर जाओ। दो कौड़ी के ओपिनियन पोल से ले कर वायरल हो रहे वीडियो शेयर कर के दो डॉलर कमाने के चक्कर में, औपचारिकता से भी आपसे एक ट्वीट तक नहीं पाया! यति नरसिंहानंद अमर नहीं है, लेकिन वो मंदिर अमर रहना चाहिए। मेरी लड़ाई उसी के लिए है। आपका साथ मिलेगा तभी 95% मुसलमान जनसंख्या के मध्य खड़ा यह मंदिर बचा रह सकेगा। दूसरे पक्ष को देखिए कि वो कैसे जिहादियों की भीड़ भेज रहा है और ट्वीट लिख-लिख कर हैदराबाद से दिल्ली तक, आतंकी आक्रमण की योजना के साथ पहुँचने वाली भीड़ के वीडियो होने के बाद भी, सांसदों से ट्वीट करवा ले रहा है। सरकार, प्रशासन या अन्य संस्थाएँ अपनी गति और परस्पर प्रेम/घृणा के आधार पर कार्य करती हैं। राजनीति वैसे ही कार्य करती है। पर हम और आप तो राजनैतिक कारणों से मंदिर नहीं जाते, फिर चुप्पी क्यों है? अजय राजपूत

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