शिंदे और अजित पवार के नेतृत्व वाले गुटों को चुनाव आयोग ने क्रमशः ‘असली’ शिवसेना और एनसीपी के रूप में मान्यता दी है. एनसीपी (एसपी) और शिवसेना (यूबीटी) के चुनाव अभियान में एकनाथ शिंदे और अजित पवार के ‘विश्वासघात’ का मुद्दा हावी रहा. महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए राजनीतिक दलों का प्रचार अभियान जन कल्याणकारी योजनाओं और विकास जैसे मुद्दों पर शुरू होकर ‘बंटेंगे तो कटेंगे’, ‘वोट जिहाद’, ‘धर्म युद्ध’, ‘संविधान खतरे में है’ जैसे नारों के साथ अपने चरम पर पहुंच गया है. राज्य में चुनाव प्रचार 18 नवंबर की शाम समाप्त हो रहा है. एनसीपी (एसपी) प्रमुख शरद पवार और शिव सेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने क्रमशः अजित पवार और एकनाथ शिंदे द्वारा ‘विश्वासघात’ का हवाला देते हुए मतदाताओं के सामने एक भावनात्मक पिच बनाई है.